तमिल सिनेमा और टीवी की दुनिया में रोबो शंकर एक ऐसा नाम था, जिसने अपनी कॉमेडी, मिमिक्री और अनोखे अंदाज़ से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। उनका असली नाम शंकर था, लेकिन मंच पर उनके “रोबोटिक डांस और कॉमेडी” से उन्हें ‘रोबो शंकर’ नाम मिला।करियर और पहचानशंकर ने शुरुआत स्टेज शोज़ और कॉमेडी कार्यक्रमों से की।
उनकी टाइमिंग, हाव-भाव और मज़ेदार एक्टिंग ने उन्हें जल्दी ही टीवी और फिल्मों में पहचान दिलाई।
इधरकुथाने आसैपट्टई बालकुमारा,मारी,वेलैनु वंडुट्टा वेल्लाइकारन,इरुंबु थिरई औरविश्वासम जैसी फिल्मों में उनके किरदार छोटे होने के बावजूद दर्शकों को खूब भाए।टीवी पर भी उन्होंने कई शो होस्ट किए और रियलिटी प्रोग्राम्स में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
स्वास्थ्य समस्याएँ और निजी संघर्ष
पिछले कुछ समय से रोबो शंकर पीलिया (Jaundice) और लिवर संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे थे। उनकी अचानक वजन घटने और थकावट को लेकर फैन्स ने भी चिंता जताई थी।उन्होंने खुद भी स्वीकार किया था कि एक समय पर वे शराब की लत से जूझ रहे थे। उस दौर में अभिनेता धनुष ने उनकी मदद की और उन्हें दोबारा संभलने का हौसला दिया।
अचानक मौत की खबर
18 सितम्बर 2025 को फ़िल्म जगत को झकझोर देने वाली खबर आई – रोबो शंकर का 46 साल की उम्र में निधन हो गया।वे शूटिंग के दौरान अचानक गिर पड़े थे। उन्हें तुरंत चेन्नई के एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया और ICU में भर्ती कराया गया। लेकिन डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।रिपोर्ट्स के अनुसार, उनकी मौत का कारण गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग और मल्टी ऑर्गन फेल्योर बताया गया।
शोक संदेश और श्रद्धांजलि
उनके निधन की खबर के बाद से ही पूरे फिल्म जगत और फैन्स में शोक की लहर है।कमल हासन ने भावुक होकर लिखा कि शंकर उनके लिए “छोटे भाई” जैसे थे और उनकी कमी हमेशा खलेगी।एक्ट्रेस सिमरन, अभिनेता कार्थी समेत तमिल इंडस्ट्री के कई बड़े नामों ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी।फैन्स भी उनकी आखिरी सोशल मीडिया पोस्ट देखकर भावुक हो गए, जो उन्होंने अपनी शो Top Cooku Dupe Cooku 2 के लिए कुछ दिन पहले ही शेयर की थी।
उनकी विरासत
रोबो शंकर भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें और उनका काम हमेशा ज़िंदा रहेगा।उन्होंने साबित किया कि छोटे रोल भी बड़े असर छोड़ सकते हैं, अगर उनमें सच्चाई और जुनून हो।उनकी ज़िंदगी हमें यह भी सिखाती है कि स्वास्थ्य समस्याओं और व्यक्तिगत संघर्षों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।